
दोस्तों सीढ़ी या जीना सिविल इंजिनियरिंग का एक बेजोड. नमूना है। जिसका प्रयोग हम लोग धरातल से ऊपर चढ़ने और नीचे उतरने के लिए करते हैं। लकड़ी, लोहा, एलुमिनियम और ईटों की सीढ़ी बनाई जाती है। इसके साथ ही लकड़ी और बांस की भी सीढ़ियां बनाई और प्रयोग में लाई जाती है। लेकिन इस समय ईंटों की सीढ़ी का प्रयोग अधिक हो रहा है। इसको घर बनवाते समय ही बनाया जाता है। जिसको बनाने में कई बातों का ध्यान रखा जाता है। तो आइए जानते है कि कौन सी बातों का ध्यान सीढ़ी बनाने में देना चाहिए।
घरों में बनाई जाने वाली सीढ़ी के प्रकार | types of stairs in homes
सीढ़ी के बारे में और अधिक जानने से पहले आइए जानते है, कि घरों में इस समय कितने प्रकार की सीढ़ीयां बनाने के बाद इस्तेमाल में लाया जाता है, और इनके इस्तेमाल से घरों की सोभा और सुंदतरता भी बढ़ाई जाती है
L shaped Staircase

यह सीढ़ी 90 तक मुड़ी हुई होती है। इस प्रकार की सीढ़ी का प्रयोग बिल्डिंग्स में एक फ्लोर से दूसरे फ्लोर पर जाने के लिए किया जाता है, जहां पर 90 कमहतमम पर मोड़कर उसकी दिशा को बदला जाता है। इस प्रकार की सीढ़ी को ही एल सेप की सीढ़ी कहा जाता है।
U shaped Staircase

इस प्रकार की सीढ़ी देखने में यु आकार की दिखाई देती है, क्योंकि यह दो या दो से अधिक सीधी सीढ़ी 180 डिग्री का मोड़कर एक दूसरे को लैंडिंग के माध्यम से जोड़ा जाता है।
Winder Staircase

इस प्रकार की सीढ़ी का निर्माण एल सेप की सीढ़ी की ही तरह किया जाता है, लेकिन एक बारीक सा अंतर ही इसे एल सेप की सीढ़ी से अलग करता है। Winder Staircase में 90 डिग्री में मोडे हुए फ्लैट लैंडिंग पर त्रिकोण आकर की स्टेप्स दी जाती है।
Spiral Staircase

इस प्रकार की सीढ़ी एक सीधे खंभे के चारों तरफ गोल गोल आकार में घुमा कर बनाई जाती है। इसका उपयोग अधिकतर कमर्सियल क्षेत्र में किया जाता है।
Curved Staircase

Curved Staircase की सीढ़ी लगभग Spiral Staircase की तरह ही होती है। लेकिन जो कर्वड की त्रिज्या होती है वह बहुत ही अधिक होती हैं अपेक्षा स्पायरल स्टेयरकेस के। इसके प्रयोग से मकान सुदर दिखाई देता है।
Cantilever Staircase

Cantilever Staircase की सीढ़ी दूसरों से अपनी खास खूबी के कारण अलग है। इस सीढ़ी खूबी यह होती है कि इसके स्टेप्स का एक छेड़ा दीवाल में ही फिक्स कर दिया जाता हैं। जबकि दूसरा छेड़ा हवा में तैरता है।
वास्तु दोष के साथ घर में सीढ़ियो का निर्माण | Construction of stairs in the house with Vastu defect
अधिकतर ऐसा होता है, कि लोग बेडरूम के बगल में हि जीने का निमार्ण करा लेते बल्कि ऐसा नहीं नहीं होना चाहिए। इतना ही नहीं सीढ़ियों को बनवाते समय वास्तु दोष को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। क्योंकि वास्तु दोष वाली सीढ़ियों के प्रभाव से घर के सदस्यों को विभिन्न प्रकार के शारीरिक, मानसिक और वित्तीय नुकसान जैसे पीड़ा का सामना करना पड. सकता है।
हेड रूम का रखें ख्याल | take care of head room
अधिकतर यह होता है कि लोग जल्दबाजी में ही जीने और छत का निर्माण कराना शुरू कर देते हैं। छत और जीने के बीच की उचित दूरी का ताल मेंल नहीं मिल पाने के कारण लंबे व्यक्तियों का सिर छत से टकराने लगता है। जब कोई भी जल्दीबाजी में सीढ़ियों से उतरता है, तो उसका सिर अथवा माथा छत या छज्जे से टकरा जाता है, और चोट लग जाती है। इसलिए हेड रूम का जरूर ध्यान रखें।
सीढ़ियों के आकार और साइज का रखें ध्यान | Keep in mind the size and shape of the stairs
जीने को बनवाते समय सीढ़ियों को कम से कम 36 इंच यानी की 914 एमएम और ज्यादा से ज्यादा एक मीटर तक रखनी चाहिए। इसके बाद आप अपनी आवश्यकता के अनुसार जीने का साइज रख सकते हैं। क्योंकि अच्छी सीढ़ी वही है जिसपर चढ़ते समय थकान कम लगे और आसानी से सीढ़िया चढ. सके। इसलिए सीढ़ियों के निमार्ण में इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए।
राइजर पर दे विशेष ध्यान | Pay special attention to the riser
घर में प्रयोग होने वाली सीढ़ियों में 254 एमएम का ट्रेड और 196 एमएम का राइजर लगाया जा सकता है। राइजर स्टेप को कहा जाता है। इसको आप अधिक से अधिक 220 एमएम तक का रख सकते हैं। क्योंकि एक सामन्य आकार से अधिक राइजर ऊंचा रखते हैं, तो पैर भी ज्यादा ऊंचाई तक उठाने होंगे, जो थकान के कारण बनेगें।
सीढ़ीयों की डिजाइनिंग पर करें फोकस | Focus on designing the stairs

सीढ़ियों की डिजाइनिंग के दौरान यह ध्यान रखें कि ऊपर जाने और नीचे उतरने में आसानी रहे। इसके साथ ही जीने की लाइटिंग पर भी फोकस करना चाहिए। अगर कमरों के दरवाजे सीढ़ियों के साथ खुल रहे हों तो ऐसे में कम से कम 310 मिलीमीटर तक की न्यूनतम दूरी जरूर बनाकर रखनी चाहिए। इसका लाभ यह होगा कि कमरे से जीने तक जाने में कोई स्टेप-अप वाली समस्या नहीं होगी।
फर्नीचर या अन्य समान चढ़ाने में न हो दिक्कत | There should be no problem in placing furniture or other similar
हमेशा सीढ़ियों को बनाते समय यह भी देखना चाहिए कि वो तंग या सकरे नहीं हो। क्योंकि तंग जीने पर किसी भी सामान को ले जाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड.ता है। खासकर ऊपरी मंजिलों पर फर्नीचर चढ़ाने और उतारने में बहुत सारी दिक्कते आती है।
सीढ़ीयों पर रेलिंग का करें इस्तेमाल | Use a railing the stairs

जीने पर रेलिंग का इस्तेमाल आवश्य करके लगवाना चाहिए। क्योंकि ये जहां एक तरफ डेकोरेशन का काम करती, तो वहीं दूसरी तरफ ऊपर चढने और उतरने में भी मदद करती हैं। रेलिंग के लिहाज से आयरन या फिर स्टील फिनिश वाली रेलिंग का इस्तेमाल में ला सकते हैं।
सीढ़ियों के नीचे के हिस्से किन चीजों के लिए करें प्रयोग? | What are the parts of the bottom of the stairs used for?
जीने को बनाने के बाद उसके नीचे का स्पेस किस तरह यूज करें यह एक सवाल बन जाता है। कई बार ऐसा होता है, कि बिना सोचे समझे जीने के नीचे किचन, बाथरूम या पूजा घर बना दिया जाता है। इतना नहीं कई बार इस हिस्से का इस्तेमाल करने के लिए इसे वर्कस्टेशन के रूप में भी बदल दिया जाता है। ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि वास्तु के अनुसार जीने के नीचे का प्रयोग घर की चीजों को रखने के लिए ही करना चाहिए।
सार | Essence
घर का नक्शा बनवाने के बाद बिना आर्किटेक्ट की सहायता के ही लोग कंस्ट्रक्शन का काम शुरू कर देते हैं। जिसका सबसे अधिक प्रभाव सीढ़ियों पर ही दिखाई देता है। कई बार ऐसा भी होता है कि गलत दिशा में सीढियां बन जाती है, साथ ही इसको बनाने में कई तरह की गलतियां भी हो जाती है। इसलिए जीने को बनाने में उन सभी बातों का ध्यान रखना चाहिए, जो एक एक अच्छे जीने की पहचान बने। जिसमें साइज से लेकर उसके डोकेरेशन तक की सभी बाते शामिल हो।