
दोस्तों घर को फिनिसिंग टच देने के लिए कई ऐसी वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है, जो ईंट सीमेंट और बालू से अतिरिक्त होती हैं। उन्हीं में से एक वस्तु होती हैं, इमारती लकड़ी जिसे टिंबर भी कहते हैं।
जब कोई पेड. पूरी तरह से वृद्धि कर लेता है, तो उसे तीन भागों में बांटा जाता हैं, जो इस प्रकार से हैं, तना, शाखाएं और टाहनियां। पेंड. के तना और शाखाओं को ही टिंबर कहते हैं। टाहनियां में पत्तियां होती हैं, जिसका प्रयोग जलाने में किया जाता है।
यह खास पेड़ो से प्राप्त किया जात हैं। जिनमें साल, सागवन, शीशम और उन पेड़ो की लकड़ी होती है, जिनको एक निश्चित साइज और आकार में काटा जा सकें। तो आइए जानते है, कि किस तरह से टिंबर का प्रयोग घरों में किया जाना चाहिए।
घरों में प्रयोग होने वाली लकड़ियों के प्रकार | Types of woods used in homes
घरों में दरवाजा, खिड.की और अनेक कार्यों के लिए टिंबर का प्रयोग किया जाता हैं। लेकिन इस दौरान यह ध्यान रखा जाता है, कि प्रयोग होने वाली लकडि.या बेहतर और उच्च क्वालिटि की होनी चाहिए। इसलिए यहां पर उन्हीं प्रकारों की लकड़ी के बारे में बताया जा रहा हैं, जो मुख्य रूप से उपयोगी होती है।
सागौन की लकड़ी | Teak wood

घरों में मुख्य रूप से सागौन की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है। क्योंकि यह मजबूती के साथ टिकाऊ भी होती है। अक्सर दरवाजे के फ्रेम, अलमारियाँ और टेबल बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। सागौन की लकड़ी प्रतिरोधी होती है। यह किसी भी मौसम की मार आसानी से झेल सकती हैं। इसी खूबी के कारण इसका उपयोग बाहरी फर्नीचर बनाने के लिए अधिक किया जाता है।
साटन की लकड़ी | Satin wood

विंटेज लुक वाले फर्नीचर या लेख साटन की लकड़ी से बने होते हैं। यह सबसे अधिक दक्षिण भारत में पाया जाता है। इस लकड़ी के रखरखाव की सबसे अधिक जरूरत होती हैं। इसके द्वारा बने फर्नीचर बहुत कठोर और लंबे समय तक चलने वाले होते हैं।
देवदार की लकड़ी | Deodar wood

अगर आप हल्के वजन के फर्नीचर बनवाना चाहते हैं, तो उसके लिए यह लकड़ी बहुत अच्छी होती हैं। हल्के होने के कारण इसके द्वारा डिस्प्ले शेल्फ, ट्रंक या सजावटी सामान अधिक बनाए जाते हैं। इसके साथ ही इस प्रकार की लकड़ी को कम रख रखाव की जरूरत होती हैं।
साल की लकड़ी | Sal wood

इस प्राजाति की लकड़ी बहुत ही मजबूत होती हैं। इसकी गुणवत्ता सबसे उच्च होती हैं। इसके द्वारा फर्नीचर अधिक बनाया जाता है। इसके स्थायित्व की रक्षा के लिए पॉलिश की परतों की आवश्यकता नहीं होती है। यह पानी, जमीन हवा किसी भी स्थान पर कई वर्षों तक अपना वजूद बनाए रख सकती हैं।
भारतीय शीषम | Indian rosewood
इसकी पहचान कठोर लकड़ी के रूप में होती हैं। इसे विभिन्न पॉलिश और फिनिश के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं अगर इसकी कीमत की बात करें तो यह भारत में महंगी लकड़ी में से एक हैं। शीशम का उपयोग किचन कैबिनेट, सोफा और यहां तक कि लकड़ी के फर्श बनाने के लिए अधिक किया जाता हैं।
टिम्बर के गुण | Properties of Timber
लकड़ी टिम्बर कई प्रकार के गुण अपने आप में संजोए हुए हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार से हैं-
- टिम्बर में लोहे की तरह से जंग नहीं लगता है, अर्थात यह जंग रोधी होती हैं।
- यह बिजली का कुचालक होता हैं, इसमें किसी भी प्रकार की विद्युत को प्रवाहित नहीं किया जा सकता है।
- इसमें किसी भी प्रकार का संकुचन नहीं होता हैं।
- टिम्बर ध्वनिरोधी निर्माण कार्यों के लिए अच्छी होती है। इसलिए इसका उपयोग स्टूडियों को बनवाने में अधिक किया जाता है।
- टिंबर में लचीला पन पाया जाता हैं, इसलिए यह भूकंप के झटके के कुछ अंश तक झेल सकता हैं।
- लकड़ी पर चिराई, प्लानिंग, ग्रूविंग जैसे काम आसानी से किया जाता है।
- टिंबर को चिराई के बाद इसके सतह को चिकना और आकर्षक बनाया जा सकता हैं।
लकड़ी के लाभ | Advantages of Timber
- लकड़ी के इस्तेमाल से कनेक्शन और जॉइंट सरलता से बनाई जाते हैं।
- मजबूत लकड़ी पर आग का असर जल्दी नहीं होता हैं।
- ये मजबूती, टिकाऊ और हल्का होने के साथ-साथ कम कीमत के होते हैं।
- टिंबर या लकड़ी को आसानी से किसी भी आकार में बनाया जा सकता हैं।
- अन्य पदार्थों की तुलना में यह हल्की और मजबूत होती है।
- टिंबर के इस्तेमाल से दरवाजे, खिड़कियों, फर्नीचर निर्माण, कैबिनेट कार्य, सजावट की वस्तु तथा फिटिंग में अच्छी तरह से होता है।
सॉफ्टवुड और हार्डवुड में अंतर | Difference between Softwood and Hardwood
- सॉफ्टवुड शंकुधारी पेड़ों से प्राप्त किया जाता है, जबकि हार्डवुड पर्णपाती पेड़ों से प्राप्त किया जाता है। जो पेड़ शरद ऋतु में अपने पत्तों को जमीन में गिरा देते हैं।
- सॉफ्टवुड में रेशा कम सघन, स्ट्रेट फाइबर पाया जाता है। वहीं हार्डवुड लकड़ी के मामले में तंतु काफी करीब और मजबूत होते हैं।
- सॉफ्टवुड रालदार लकड़ी होती हैं, जिसकी अच्छी बनावट होने के साथ ही सुगंधित गंध होती है। जबकि हार्डवुड लकड़ी में पर्याप्त अम्ल होता है।
- सॉफ्टवुड लकड़ी हल्की और नरम होती है, वहीं हार्डवुड लकड़ी भारी और मजबूत होती है।
- सॉफ्टवुड लकड़ी जल्दी जलती हैं, वहीं पर हार्डवुड धीमी गति से जलती है।
लकड़ी का उपचार और संशोषण | Seasoning of Timber
लकड़ी को जब अनेक कामों के योग्य बनाया जाता हैं, तो उसमें जो नमी होती है, उसे कम किया जाता हैं। या यू कहें कि उसे सुखाया जाता है, इस दौरान जो विधि अपनायी जाती है, उसे उपचार या संशोषण कहते हैं। यह विधि दो तरह से अपनायी जाती हैं।
–प्राकृतिक संशोषण Natural Seasoning
–कृत्रिम संशोषण Artificial Seasoning
प्राकृतिक संशोषण | Natural Seasoning

जब लकड़ी की सीजनिंग प्राकृतिक विधि से की जाती है, तो इस प्रक्रिया को प्राकृतिक संशोषण कहते हैं। इसमें लकड़ी का संशोषण पानी और वायु के द्वारा किया जाता है। लेकिन इसकी एक कमी होती है, वह यह है, कि इस प्रकार से सीजनिंग में समय अधिक लगता हैं।
कृत्रिम संशोषण | Artificial Seasoning

कृत्रिम संशोषण का प्रयोग इसलिए किया जाता है, क्योंकि इस विधि के सीजनिंग में कम समय लगता हैं। इसके कई प्रकार है, जो इस प्रकार से हैं।
- भाप संशोषण (Steam Seasoning)
- भट्ठा संशोषण (Kiln Seasoning)
- रासायनिक संशोषण (Chemical Seasoning)
- विद्युत संशोषण (Electric Seasoning)
सार | Essence
वर्तमान समय में लकड़ियों का प्रयोग घरों में अनेंक प्रकार से किया जाता है। जिसमें कई तरह के डिजाइन के साथ कई ऐसी भी लकड़ी की वस्तुए होेती है, जो लागों को चंद समय में ही लुभा लेती हैं। यहां ध्यान देने वाली बात यह है, कि लकड़ी को इस आकार और साइज पाने के लिए अनेको चरण और तौर तरीकों से गुजरना पड.ता हैं। इसलिए आपके लिए यह भी जरूर हैं, कि इनका चुनाव करते समय उन बातों का ध्यान रखें जो इनकी खूबसूरती के साथ ही इन्हें मजबूती देती हों।