
दोस्तों घर का बनना सपने का पूरा होना होता है, इसलिए व्यक्ति घर को सुरक्षित रखने के लिए हर प्रयास करता रहता हैं। हमारा घर हर रोज कभी तेज बारिश, तेज धूप, अत्यधिक नमी जैसे हालातों से गुजरता है, जिसके वजह से दीवारों पर महीन दरारे बन जाती है। इसलिए दीवार, बाथरूम, छत से पानी टपकने या रिसने लगता है। इसलिए घरों को वाटरप्रूफिंग की जरुरत होती हैं। तो आइए जानते है, कि घर को किस प्रकार से वाटरप्रूफिंग किया जा सकता है।
क्या होता हैं वाटरप्रूफिंग ? | What is waterproofing?

किसी भी संरचना की सतह को जलरोधी बनाना वाटरप्रूफिंग कहलाता हैं। पानी से प्रभावित होने वाले घरों और किसी संरचना के सतह में जलरोधी व्यवस्था होने से सतह के अंदर पानी प्रवेश नहीं कर पाता है।
अगर घरों में पानी सीधा आता रहेगा और जमा होता रहेगा तो घर की दीवारों पर या तो सीलन होने लगती है, या पानी का रिसाव घरों के अंदर होना शुरू हो जाता है। इससे घरों को बहुत नुकशान होता हैं। इसलिए इस समस्या से बचने के लिए वहां पर वाटरप्रूफिंग किया जाता हैं।
वाटरप्रूफिंग के प्रकार | Types Of Waterproofing
वाटरप्रूफिंग मुख्य रूप से पांच प्रकार से की जाती हैं, जिनके कई तरीके होते हैं। ये सभी आज के समय में अपनाए जाते हैं। जो इस प्रकार से हैं
कंक्रीट या प्लास्टर में वाटरप्रूफिंग | Waterproofing In Concrete Or Plaster

इस प्रकार की वाटरप्रूफिंग उस समय किया जाता है, जब घर का निर्माण हो रहा होता हैं। इस विधि के द्वारा वाटरप्रूफिंग बहुत ही प्रभावी माना जाता हैं। कंक्रीट बनाने के दौरान सीमेंट के साथ ऐडमिक्सचर, जो एक प्रकार का केमिलकल होता हैं, को मिलाकर कंक्रीट को जलरोधी बनाया जाता है।
पुरानी छत, दीवाल में वाटरप्रूफिंग लिक्विड के द्वारा | With Waterproofing Liquid in Old Ceiling, Wall

इस प्रकार के वाटरप्रूफिंग में दीवारों के दरारों को भरकर किया जाता हैं। इन दरारों को भरने के लिए हाई प्रेशर में वाटर प्रूफिंग केमिकल को कंक्रीट के साथ दरारों के अंदर डाला जाता हैं। पुराने मकान के छत, दीवाल, बेसमेंट, बाथरूम, किचन जैसे स्थानों पर इस विधि से वाटरप्रूफिंग की जाती है।
बिटुमिनस वाटरप्रुफिंग | Bituminous Waterproofing

इसका प्रयोग वाणिज्यिक भवनों की वाटरप्रूफिंग के लिए किया जाता हैं। यह जैविक तरल पदार्थों से बना हुआ होता हैं। इसे अवासीय घरों की प्रूफिंग के लिए भी इस्तेमाल किया जाता हैं। इसके कुछ प्रकार इस तरह से हैं-
- बिटुमिनस मेम्ब्रेंन
- बिटुमिनस कोटिंग
- पालीयुरेशन तरल मेम्ब्रेंन
सीमेंटीक वाटरप्रुफिंग | Cementitious Waterproofing

सिमेंटिक वाटरप्रुफिंग सबसे सरलतम मानी जाती है, क्योंकि इसमें कोई एक्स्ट्रा लेबर चार्ज नहीं लगता हैं, बल्कि दीवारों की चिनाई के दौरान ही इसे कर दिया जाता हैं। इसके साथ ही इसे एक घोल के साथ वाटरप्रुफिंग करने के लिए प्रयोग किया जाता हैं। इस प्रकार की वाटरप्रुफिंग निम्न संरचनाओं को बनाने में किया जाता हैं-
- जल उपचार संयंत्र
- गंदा पानी साफ करने के संयंत्र
- पुल
- बांध
- रेलवे और सबवे सिस्टम
- मरीन कार्गो पोर्ट और डॉक्स
- नदियों के नाले
- पार्किंग संरचनाएं और बहुत सारे
- सुंरग
लिक्विड वाटरप्रुफिंग | Liquid Waterproofing

लिक्विड रूफिंग एक विशेषज्ञ तरल पदार्थ है। जिसका प्रयोग छत को कोटिंग या वाटरपू्रफिंग के लिए किया जाता हैं। इस प्रकार की वाटरप्रुफिंग फ्लैट, गुंबददार सहित अनेक प्रकार के छतों के लिए अनुकूल और उपयोगी हैं। यह कोई नई विधि नहीं है, जिसे वाटरपू्रफिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं, बल्कि पिछले कई वर्षों से चली आ रही हैं।
वाटरप्रूफिंग करने की विधियां या तरीके | Methods Of Waterproofing

सीमेंटेशन वाटर प्रूफिंग – इस प्रकार की वाटरप्रूफिंग बहुत ही सस्ती होती हैं, इतना ही नहीं यह सरलता के साथ किया जाने वाला प्रूफिंग मानी जाती है। इसका प्रयोग सबसे अधिक फ्लोरिंग पर किया जाता है।
मेम्ब्रेन वाटर प्रूफिंग – यह वाटर प्रूफिंग की विधि घर की छत, सुरंग, पुल, मेट्रो में ज्यादा प्रयोग होता हैं। इसे इस तरह से किया जाता है, कि इसकी सतह की मोटाई 2 से 3 उउ तक ही रहें।
लिक्विड वाटर प्रूफिंग – इस प्रकार की वाटर प्रूफिंग पेंट में मिलाकर किया जाता हैं। जिसका मुख्य उद्देश्य सीलन को रोकना होता हैं। इसमें लिक्विड फोम में रबर का प्रयोग किया जाता हैं।
बेंटोनाइट वाटर प्रूफिंग – इसका प्रयोग बाहरी दीवरों की वाटर प्रूफिंग करने के लिए किया जाता हैं। जो बाहर से आने वाली सीलन को रोकने का काम करता हैं।
घर की छत पर वाटर प्रूफिंग –सूरज की ज्यादा धूप गर्मियों में छत पर पड.ने से छत में दरारे आ जाती हैं, जो बाद में शर्दिंयों और बारिश के मौसम में सीलन का कारण बनती हैं। इसको रोकने के लिए किया जाने वाला प्रूफिंग छत की वाटर प्रूफिंग कहलाती हैं।
बेसमेंट में पानी रोकने के लिए –बेसमेंट में पानी का भर जाना आम सी बात लगती हैं, लेकिन इसको रोका जा सकता हैं। इसे वाटर प्रूफिंग करके। बेसमेंट में सीलन को इंजेक्शन ग्राउटिंग द्वारा हाई प्रेशर में वाटर प्रूफिंग केमिकल को कंक्रीट के दरारें में भरा जाता है, इसके साथ ही सीमेंट में वाटर प्रूफिंग केमिकल को मिला कर किया जा सकता हैं।
वॉटरप्रूफिंग के लाभ | Benefits Of Waterproofing

घरों या किसी संरचना को वॉटरप्रूफ कराने के अनेकों लाभ होते हैं। जो प्रत्यक्ष लाभ दिखाई देते हैं, लेकिन इसके साथ ही अप्रत्यक्ष लाभ भी होते हैं, जो कुछ दिनों के बाद दिखाई देते हैं। वॉटरप्रूफ के द्वारा होने वाले लाभ इस प्रकार से हैं।
- वॉटरप्रूफींग होने से दीवारों में नमी नहीं होने पाती है, इसके साथ ही दीवारे भी रिसाव नहीं लेती हैं।
- वॉटरप्रूफ घर को संरचनात्मक मजबूती प्रदान करती हैं।
- नमी और पानी रिसने से धातुओं में जंग लग सकती है, और लकड़ी सड़ सकती है। लेकिन वॉटरप्रूफिंग होने से इन सभी समस्याओं से बचा जा सकता हैं।
- वॉटरप्रूफ फाउंडेशन को मजबूती देता हैं।
सार | Essence
भारत देश की जलवायु उष्णकटिबंधीय होती हैं। इसलिए यहां पर प्रयाप्त मात्रा में वर्षां और शर्दी होती रहती हैं। इसके साथ ही अन्य मौसमों का प्रभाव भी बना रहता है। लेकिन ये घरों के लिए अच्छा नहीं होता हैं, खासकर सीमेंट और ईंट जैसे घरों के लिए। क्योंकि मौसम की मार से इनमें सीलन आनी शुरू होने लगती हैं। इसलिए इन परिस्थितियों से बचने के लिए वाटरप्रूफिंग किया जाता हैं। ताकि घरों को इन सभी से बचाया जा सके और घर की सुंदरता, आयु दोनों बनी रहे।