प्रत्येक व्यक्ति शुख मय जीवन जीने की कल्पना करता है, और इस कल्पना की नीव होती है, व्यक्ति का अच्छे जगह पर घर होना।
प्लाट का चयन करते समय यह ध्यान में रखें कि भूखंड पूरब से पश्चिम की तरफ लंबा या उत्तर से दक्षिण की तरफ लंबा जिसे सूर्यवेधी या चंद्रभेदी कहते हैं, तो नहीं है।
नींव को जमीन के नीचे की कठिन सतह तक खोदना चाहिए। क्योकि घर का पूरा भार जमीन की सतह पर पहुंच जाता है। उसके बाद ईट, सीमेंट, बाजरी व पत्थर से नीव के निर्माण का कार्य शुरू करे
घर बनाते समय जो सबसे जरूरी ध्यान देने वाली बात होती है, वो है घर का नक्श बनवाना। यह घर बनवाने से पहले ही बनवा लिया जाता है। इससे यह साफ हो जाता है कि घर बनवाने में कितनी लागत आयेगी।
ठेकेदार को कार्य देने के पहले जो कार्य ठेकेदार के माध्यम से होने हैं, उनका विवरण तय करें जैसे सीमेंट ,लोहा, ईंट, प्लंमबिग, सेनेटरी, विद्दुत आदि के ब्राण्ड तय करें। साथ ही यह भी ध्यान रखे कि सभी कामों की विस्तृत चर्चा कर एक अनुबंध बना लें।