प्लास्टर करवाने से पहले इन बातों को रखें याद, दीवारों को मिलेगी खास मजबूती

प्लास्टर करवाने से पहले इन बातों को रखें याद, दीवारों को मिलेगी खास मजबूती

By Abhishek Yadav

दोस्तों अधिकतर लोग अपनी जीवन भर की कमाई लगाकर अपने सपनों का घर बनवाते हैं। लेकिन इसके बाद जब घरों में कमी निकल आती है, तो बहुत ही दुख होता है। घर की ये कमिया इस प्रकार से जैसे दिवारों में दरारे का होना, पपड़ी बनके प्लास्टर (Plaster) का उजड़ना और पीओपी का दीवारों पर नहीं लगना निकल कर जब सामने आती है , तो आइए जानते है कि कौन सी वो बाते है, जिनको प्लास्टर करवाते समय ध्यान में रखना चाहिए।

दीवारों की अच्छी तरह से करें क्युरिंग -

Must Do:

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Green Leaf

दीवारों पर प्लास्टर कराने से पहले दिवालों को क्युरिंग किया जाता है। क्युरिंग का मतलब दिवारों को पानी से भिगोना या तरी करना होता है। प्लास्टर ( Plaster ) करने से एक दिन पहले ही दीवार को अच्छी तरह से क्युरिंग कर लें

प्लास्टर से पहले दीवारों पर मोर्टार के घोल का करें प्रयोग

दीवारों पर नमी करने के बाद का जो काम होता है, वह दीवारों पर अच्छी तरह से सीमेंट के घोल का प्रयोग करना होता है। क्योंकि बिना घोल के प्रयोग से पहले ही आप प्लास्टर का कार्य कराने का काम शुरू कराते है, तो मोर्टार दीवारों पर चिपकेगा नहीं। घोल को बनाते समय यह भी ध्यान रखें की यह ज्यादा पतला न रहे, और अधिक मोटा भी न रहें। 

बालू का छानना जरूरी

प्लास्टर के लिए मसाला यानि मोर्टार बनाते समय आप उसमें जो बालू आप प्रयोग में लाना चाहते हैं उसको पहले छन्ने से छान लें। इससे बालू में मौजूद गंदगी अच्छी तरह से निकल जाएगी। साथ ही उसमें जो बड़े कंकड़ं होते हैं वह भी छानने से निकल जाते हैं। इससे प्लास्टर की पकड़ मजबूत होती है और फिनिशिंग काफी अच्छी आती है।

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प्लास्टर के लिए इस अनुपात में सीमेंट मसालों का करें प्रयोग

प्लास्टर के लिए जो सीमेंट और रेत का अनुपात कम से कम 1 : 4 और अधिक से अधिक 1 : 5 होता है। अगर प्लास्टर के लिए इससे अधिक अनुपात के मसालों का प्रयोग करते है, तो वह आपके दीवारों के लिए नुकशान दे होगा। वहीं अगर क्लासिक अनुपात की बात करें तो 1 : 4 या 1 : 5 माना गया है।

प्लामिंग और इलेक्ट्रिकल के बाद शुरू करें प्लास्टर का काम

प्लास्टर का काम घर में तभी शुरू करना चाहिए, जब बिजली और प्लाबिंग का काम खत्म हो चुका हो। क्योंकि ये कार्य बाद में कराने से दिवारों पर वो फिसिंग नहीं रहती है, जो इस कार्य के कराने के बाद आती हैं।

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