
दोस्तों बिल्डिंग का निर्माण अनेक विधिओं से किया जाता हैं। इस दौरान विभिन्न तरीको को भी अपनाया जाता हैं, लेकिन जो सबसे बेहतर बिल्डिंग बनवाने का तरीका हैं, वो स्ट्रक्चर बेस बिल्डिंग(Structure Building) का हैं। स्ट्रक्चर बिल्डिंग संरचनाओं का एक जाल होता हैं, जिसमें बिल्डिंग का समस्त भार पिलर पर देकर जमीन तक पहुंचाया जाता हैं।
क्या होता हैं, स्ट्रक्चर बिल्डिंग | What Was A Structure Building

भवन का निर्माण जब संरचनाओं के आधार पर किया जाता हैं, एवं उन सभी संरचनाओं का भार इस प्रकार से पिलर पर दिया जाता हैं, कि खूबशूरती के साथ एक भव्य इमारत का निमार्ण हो, तो निर्माण को स्ट्रक्चर बिल्डिंग कहां जाता हैं। स्ट्रक्चर बिल्डिंग(Structure Building) के कुछ मुख्य भाग होते हैं, उनमें दीवारें, ,स्तंभ, प्लिंथ, ट्रस और कॉलम हैं। इनकी सहायता से ही बिल्डिंग को आकार देने का कार्य किया जाता हैं।
स्ट्रक्चर बिल्डिंग के प्रकार | Types Of Structure Building
बिल्डिंग संरचनाएं विभिन्न मॉडलों में देखी जा सकती हैं, जैसे कंक्रीट, फ्रेमयुक्त, खोल, झिल्ली, ट्रस, मेहराब, सतह संरचना, और कई अन्य। जिनको मुख्य रूप से ज्यामिति गणना के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। क्योंकि घर का समस्त भार ज्यामिति गणना करके बांट दिया जाता हैं।स्ट्रक्चर बिल्डिंग(Structure Building) के प्रकार इस तरह से हैं-
लोड बेअरिंग संरचना | Load Bearing Structure

लोड बेअरिंग संरचना वह संरचना होती हैं, जिसमें चिनाई ईट के द्वारा की जाती हैं, इस चिनाई के दौरान नींव के साथ-साथ दीवार और भवन ढांचे प्रमुख संरचनात्मक तत्व की भूमिका में रहते हैं। लोड बेअरिंग संरचना में सभी भार एक दीवार द्वारा वहन किया जाता है और नींव के माध्यम से जमीन पर स्थानांतरित किया जाता है।
फ्रेम संरचना | Frame Structure

फ्रेम संरचना के दौरान भवन के सभी भार को बीम, स्तंभ और नींव ऊपर लिया जाता है। बीम स्तंभ से स्तंभ फुटिंग से फुटिंग फाउंडेशन से क्रमश जुड़े हुए होते हैं। इस सभी प्रक्रिया में बीम ट्रांसफर लोड को कॉलम में स्थानांतरित कर देता है और अंत में इसे सुरक्षित रूप से जमीन पर विभाजित करने का काम करता हैं।
ट्रस संरचना | Truss Structure

आर्किटेक्चर और संरचना इंजीनियरी में ट्रस एक ऐसी संरचना होती है, जिसको एक या एक से अधिक त्रिकोणीय इकाइयों से मिलाकर बनाया जाता हैं। जो सभी एक दूसरे से जुड़ी होती हैं, ताकी सभी का भार एक स्थान पर आकर पड़े। इस विधि में सभी वाह्यबल और प्रतिक्रियाएं नोडों पर लगते है।
इस दौरान कोई अपरूपण बल अगर लगता हैं, तो उसे यह झुकने नहीं देते हैं। इसका मुख्य आशय यह होता हैं, कि अक्षीय संपीड़न और अक्षीय तनाव निर्धारित किया जा सके।
शेल संरचना | Shell Structure

इनकी सहायता से हल्के निर्माण किया जाता है, इसका अधिक प्रयोग छत के रूप में होता है। यह एक संरचनात्मक तत्व है, इतना ही नहीं इसकी ज्यामितिय निर्माण ही इसकी खूबी हैं। एक त्रि-आयामी ठोस होने के कारण जिसकी मोटाई अन्य आयामों की तुलना में बहुत कम होती हैं। इस संरचना में भारों को मध्य में परिभाषित करने का काम किया जाता हैं। पतली-खोल संरचनाएं जिनको प्लेट और शेल संरचनाएं भी कहा जाता है। इनका अधिकतर प्रयोग घुमावदार, बड़े ढांचे बनाने के लिए होता हैं। वहीं अगर इनके मुख्य उपयोग की बात करें तो विमान के फ्यूजलेज, नाव के पतवार और बड़ी इमारतों की छतें बनाने में किया जाता हैं।
मास संरचना | Mass Structure

मास संरचना उस संरचना को कहते हैं, जिनका निर्माण नेचुरल रूप से बड़े स्तर पर किया जाता है। इसे सरल भाषा में इस प्रकार से परिभाषित किया गया हैं, मास संरचना समान सामग्रियों को एक निश्चित आकार या डिजाइन में मिलाकर बनाई जाती है। इसके उदाहरण मिस्त्र का पीरामिड और चीन की दीवार के रूप में देख सकते हैं।
प्री-इंजीनियर्ड संरचना | Pre-Engineered Structure ( PEB Structure)

प्री-इंजीनियर्ड संरचना भवन के घटक होते हैं। जिनका निर्माण कारखानों में होता हैं। आमतौर पर, पीईबी इस्पात संरचनाएं होती हैं, और पारंपरिक संरचनात्मक इस्पात भवनों का विकल्प हो सकती हैं। इनका निर्माण एक निमश्चित आकारों में किया जाता हैं। इसके बाद साइटों पर लाया जाता हैं।
स्ट्रक्चर बिल्डिंग के मुख्य तत्व | Main Elements Of A Structure Building
संरचनात्मक बिल्डिंग(Structure Building) का निर्माण इन तत्वों के आधार पर होता है, जो घर को एक आकार देने में अहम भूमिका अदा करते हैं। वे इस प्रकार से हैं-
कॉलम | Column

यह एक उर्ध्वाधर अवयव है, जिसे नींव से भवन के सबसे ऊपरी भाग तक खड़ा किया जाता है। कॉलम का निर्माण अनेकों प्रकार से किया जाता है। जिसकी साइज आकार सब अलग अलग रहता है, क्योेंकि इसका निर्धारण उंचाई और वजन मिट्टी के क्रस्ट्राक्शन(Structure Building) के अधार पर तय होता है। साथ ही कॉलम लोडिंग और संरचनात्मक पहलुओं पर भी निर्भर करता है। इतना ही नहीं कॉलम घर के सभी भार को फुटिंग तक अपने माध्यम से पहुँचाता है।
कालम अनेक आकार में आता है, जिनमें गोलाकार, आयत, वर्ग, हेक्सागोनल, जैसे शामिल होते हैं। यह भवन के संरचनात्मक डिजाइन, सौंदर्यशास्त्र और आंतरिक डिजाइन पर भी आधारित होता हैं।
फाउंडेशन | Foundation

यह एक उप संरचना होता हैं, जो मकान के आधार का एक हिस्सा होता हैं। यह मकान(Structure Building) के भार को जमीन में स्थानांतरित करती है। इसका निर्माण इस प्रकार किया जाता है कि घर भूकंपीय भारों का प्रतिरोध करने में सक्षम हो । फाउंडेशन के निर्माण में प्रयोग होने वाली सामग्री स्टील बार और कंक्रीट के साथ-साथ पत्थर, मिट्टी और ईंट है।
प्लिंथ | Plinth

यह नीव का एक भाग होता हैं, इसका मुख्य कार्य नीव को कॉलम से जोड.ना होता है। प्लिंथ के द्वारा जोड. हो जाने के कारण घर (Structure Building) का भार गुणत्मक रूप से परिभाषित हो जाता हैं। इसके द्वारा जुड़ाव होने से घर को मजबूती मिलती हैं। यह फाउंडेशन और सुपर स्ट्रक्चर के बीच स्थित होता है, जो डम प्रूफ कोर्स (DPC) से बना है।
दीवारों | Walls

दीवारें घर को आकार देने में मुख्य भूमिका अदा करती हैं। यह भवन की बाहरी सीमा बनाती हैं। दीवारों के द्वारा ही घर को मनचाहा आकार में डिजाइन किया जाता हैं।
भार वाहन करने वाली संरचनाओं (Structure Building) में, दीवारों की प्रथम भूमिका रहती हैं। दीवारों का निर्माण अधिकतर ईंटों से किया जाता हैं, वहीं अगर दूसरे वस्तुओं के द्वारा दीवारों के निर्माण की बात की जाए तो उनमें पत्थर, एएसी ब्लॉक, सीएलसी ब्लॉक, खोखले या ठोस कंक्रीट ब्लॉक जैसे वस्तुए शामिल हैं।
संरचनात्मक बिल्डिंग के लिए याद रखने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बिंदु | Some Important Points To Remember For Structural Building

- लोड बियरिंग स्ट्रक्चर(Structure Building) में दीवारें और स्लैब महत्वपूर्ण संरचनात्मक तत्वों के रूप में कार्य करते हैं। आरसीसी भवन की दीवारों की तुलना में दीवारों की चौड़ाई ज्यादा होती हैं। जिससे फ्लोर एरिया कम हो जाता हैं और इसमें स्टेप फुटिंग बनाई जाती हैं।
- कॉलम, बीम, स्लैब आरसीसी भवनों में महत्वपूर्ण संरचनात्मक भूमिका अदा करते हैं, इसलिए भवन के निर्माण के बाद इन्हें तोड़ा नहीं जाना चाहिए।
- फ्रेमयुक्त संरचना में दीवार की मोटाई कम होती हैं, इसमें भार के मुताबिक दीवार की मोटाई कम होती हैं।
सार | Essence
स्ट्रक्चर बेस घर का निर्माण इस समय में करवाना बेहद जरूरी हैं, क्योंकि नेचर के बदलते तेवर से आपदाओं का आना आम बात हो गया हैं। इन आपदाओं में अगर आप घर को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो स्ट्राक्चर पर आधारित घर का निर्माण करें। इस प्रकार के घर भूकंप रोधी एवं किसी भी भविष्य में आने वाले आपदाओं से सुरक्षित रहेंगे।