earthing

अर्थिंग क्या है?, और यह कैसे करता हैं काम?, जानें | What is earthing, and how does it work?

What is earthing

अर्थिंग ( earthing ) ऐसी इलेक्ट्रॉनिक विधि होती है, जो उपकरण में फाल्ट होने पर इलेक्ट्रिक एनर्जी को सीधे जमीन में भेजता है। इससे यह लाभ होता है, कि अगर घर में कहीं पर भी फाल्ट होता हैं, तो जान माल और अन्य प्रकार की नुकसान होने से बचा जाता है। इलेक्ट्रॉनिक करंट को जमीन में भेजने के लिए अनेक प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का प्रयोग किया जाता हैं, जो सुरक्षा प्रदान करते हैं।

अर्थिंग किस विधि से काम करती हैं, जानें? Know how earthing works?

how earthing works?

जब किसी कारण से इलेक्ट्रॉनिक गड़बड़ी आने लगती हैं, तो मशीन या उपकरण में इलेक्ट्रॉनिक फाल्ट हो जाता है। ऐसे में उपकरण के धातु वाला भाग में भी करंट आने लगता है। इससे अधिक हानि होने का खतरा रहता हैं, कभी-कभी यह जान लेवा हो जाता है। अगर उस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या मशीन को उचित इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था से सुसज्जित किया जाए, तो उस उपकरण के धातु भाग में आने वाला करंट सीधे जमीन में चला जाता है। जिससे उसका प्रयोग करने वाला व्यक्ति को किसी भी प्रकार की हानि या क्षति नहीं होगी।

जानें अर्थिंग करने का तरीका ? Learn how to do earthing?

किसी भी स्थान पर अर्थिंग ( earthing ) करना बहुत ही आसान है। अगर इसे सरल भाषा में समझा जाए तो, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की धातु से बनी बॉडी को जमीन में जोड़ना मात्र है। अर्थिंग को उदाहरण के तौर पर समझा जाए तो मोटर की बॉडी जो आयरन, स्टील की धातु से मिलकर बनी होती है, जो इलेक्ट्रॉनिक का सबसे अच्छा संचालक होता हैं, जिसमें कभी भी थोड़ी सी चूक पर करंट फैल सकता हैं। इसलिए मोटर की अर्थिंग ( earthing ) करने पर मोटर को जमीन के साथ जोड़ देते हैं। जमीन से जोड़ने के बाद अगर कभी भी चूक-वश करंट मोटर में आता हैं, तो वह सीधे हमारी बॉडी से न जाकर अर्थ वायर से जमीन में चला जायेगा।

अर्थिंग के प्रकार | Types of earthing 

जैसा कि आप लोग उपरोक्त कथनों से यह जानकारी प्राप्त कर ली हैं, कि अर्थिंग क्या होती है। यहां पर आपको यह जानकारी इस लेख से दी जायेगी कि यह कितने प्रकार की होती हैं।

स्ट्रिप और वायर अर्थिंग | Strip and wire earthing 

Strip and wire earthing 

इस प्रकार की अर्थिंग ( earthing ) उन स्थानों पर प्रयोग में लायी जाती हैं, जिस स्थान की मिट्टी कंकरीली और पथरीली होती हैं। यह ट्रांसमिशन लाइन में बहुत ही लाभदायक साबित होती है।

रॉड अर्थिंग | Rod earthing 

 Rod earthing 

रॉड अर्थिंग ( earthing ) का इस्तेमाल अधिक गहराई में होता हैं। इसलिए इसका प्रयोग उन स्थानों पर किया जाता है, जिस स्थान की मिट्टी रेतीली पायी जाती है। वहीं दूसरा इसका कारण यह भी हैं, कि रेत वाली जमीन में नमी अधिक होती है। अधिक गहराई के कारण इस प्रकार के अर्थिंग ( earthing ) में रॉड को शामिल किया जाता है। इसलिए इसको रॉड अर्थिंग कहा जाता है।

कॉइल अर्थिंग | Coil earthing 

Coil earthing 

कॉइल अर्थिंग सबसे अधिक प्रयोग में लायी जाने वाली अर्थिंक होती हैं। इस प्रकार की अर्थिंग में G-I-½) वॉयर से बनी कॉइल का प्रयोग किया जाता है। यह अर्थिंक का प्रकार सबसे ज्यादा रेलवे में किया जाता है। यहां पर इस अर्थिंग ( earthing ) को इलेक्ट्रॉनिक पोल से प्रयोग में लाया जाता है।

पाइप अर्थिंग | Pipe earthing

Pipe earthing

यह अर्थिंग करने का तरीका ऐसा होता हैं, जो रॉड अर्थिंग से मेल खाता हैं। लेकिन इसमें रॉड के स्थान पर अर्थिंग के लिए एक पाइप का प्रयोग किया जाता हैं। क्योंकि इसकी गहराई 5-10 फीट या इससे भी अधिक होती है। इसलिए इस गहराई पर अर्थिंग के लिए तार को एक पाइप के सहारे जमीन तक भेजा जाता है।

प्लेट अर्थिंग | Plate earthing

Plate earthing

इस अर्थिंग ( earthing ) व्यवस्था का प्रयोग उन स्थानों पर किया जाता हैं, जिन स्थानों पर सबसे अधिक करंट का फ्लो होता हैं। इसलिए इसको सबसे अच्छी अर्थिंग कहा जाता है। क्योंकि यह करंट को अन्य धातुओं में फैलने से रोकता हैं। यही कारण हैं इसको पॉवर स्टेशन और सब स्टेशनों में भी प्रयोग में लाया जाता हैं। प्लेट अर्थिंग का उपयोग ऐसी जगह किया जाता है, जहां अधिक मात्रा में करंट फ्लो होता है।

जानें अर्थिंग करने से करंट क्यों नहीं लगता | Know why earthing does not cause current

करंट प्रवाह कुछ नियम होता हैं, जिनको अध्यन करके इसको निय़ित्रत किया जाता हैं। इन्हीं नियम में एक रेसिस्टेंस का नियम होता हैं। जिनके प्रयोग से अर्थिंक को व्यवस्थित करके करंट को फैलने से रोका जाता हैं। रेसिस्टेंस का नियम यह है, कि करंट बहने के लिए हमेशा कम रेसिस्टेंस के मार्ग को चुनता हैं।

वहीं हमारे हमारे शरीर का रेसिस्टेंस 1000 ohm या इससे भी ज्यादा होता है। परंतु हम जिस अर्थिंग को करते हैं उसका रेसिस्टेंस इलेक्ट्रॉनिकल्स 10 ohm से 5 ohm के अंदर ही रखते हैं। इसलिए जब कभी भी फाल्ट की स्थिति होती है, तो ऐसी स्थिति में करंट हमारी बॉडी में न जाकर कम रेजिस्टेंस 5 ohm की अर्थिंग से निकल जाता हैं। इसलिए हमको करंट नहीं लगता हैं, क्योंकि हमारी शरीर का रेजिस्टेंस 1000 ohm होता हैं। जो जमीन के अंदर रेजिस्टेंस से अधिक होता हैं।

अर्थिंग का रेसिस्टेन्स कितना रखना चाहिए? What should be the earthing resistance?

earthing resistance

अर्थिंग ( earthing ) रेसिस्टेन्स का उपयोग अधिकतर सुरक्षा और उपकरण की सुरक्षा के लिए किया जाता हैं। एक अध्ययन के मुताबिक अर्थिंग रेसिस्टेंस की क्षमता जितनी कम होती है, उतनी ही लाभदायक मानी जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं? , कि सबसे अच्छी अर्थिंग 0 ओम की होती है, लेकिन इतना रेसिटेंस नहीं रखा जा सकता हैं।

वहीं अगर पावर प्लांट की अर्थिंग का रेसिस्टेंस की बात करें तो इसकी रेसिटेंस क्षमता 0.5 ohm रखा जाता हैं। जबकि सब स्टेशन में अर्थिंग की रेसिस्टेंस क्षमता 20 ohm से कम रखा जाता है। जबकि घर के अर्थिंग रेसिस्टेंस क्षमता 8 ohm से कम लाभदायक माना गया है। अच्छा माना जाता है।

सार | Essence

अर्थिंग ( earthing ) का प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक खतरों से बचाव के लिए किया जाता हैं। इसका इस्तेमाल घरों में जरूर करना चाहिए क्योंकि यह आपको आने वाले अनेक खतरों से बचाने का काम करता हैं। और जाने